प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इंफ़ाल (मणिपुर) रैली का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी शेयर किया जा रहा है
जिसमें दिखाई देता है कि पुलिस के कुछ जवान लोगों को एक दरवाज़े से बाहर
निकलने से रोक रहे हैं.
इस वीडियो के साथ लोग लिख रहे हैं कि '2014 में मोदी की रैली में लोग आते थे, 2019 में उन्हें पुलिस के दम पर रोकना पड़ रहा है'.'मणिपुर टॉक्स' नाम की एक स्थानीय वेबसाइट ने भी यह वीडियो शेयर किया है और लिखा है, "भारी अफ़रा-तफ़री के बीच लोगों को मोदी की रैली में रोके रखने के लिए पुलिस को मेहनत करनी पड़ी. पुलिस ने बैरिकेड लगाकर लोगों को मैदान में रोका. ये शर्म की बात है."
ट्विटर पर इस वेबसाइट के द्वारा पोस्ट किया गया यह वीडियो क़रीब तीन लाख बार देखा जा चुका है और सैकड़ों लोग इसे री-ट्वीट कर चुके हैं.
इनमें कई यूज़र ऐसे हैं जिन्होंने लिखा है कि मोदी के भाषण से निराश होकर मणिपुर के लोग रैली के बीच ही वापस लौटने लगे थे.
सोशल मीडिया पर एक-दो वीडियो ऐसे भी हैं जिनमें दिखाई देता है कि पुलिस ने मैदान का दरवाज़ा बंद कर रखा है और महिलाएं लोहे के दरवाज़े के ऊपर चढ़कर मैदान से बाहर आने की कोशिश कर रही हैं.
रविवार, 7 अप्रैल 2019 को मणिपुर की राजधानी इंफ़ाल में क्या हुआ था और क्या रैली मैदान से निकल रहे लोग वाक़ई मोदी के भाषण से निराश हो गए थे? इसकी हमने जाँच की.
मणिपुर के इंफ़ाल ईस्ट ज़िले के कंगला पैलेस से महज़ एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित हप्ता कंगजेईबुंग मैदान में नरेंद्र मोदी की यह रैली आयोजित हुई थी.
भारतीय जनता पार्टी ने पीएम मोदी का 6 अप्रैल को जो शिड्यूल जारी किया था, उसके अनुसार उन्हें शाम 4 बजकर 10 मिनट पर मणिपुर की इस रैली में पहुँचना था.
लेकिन मणिपुर बीजेपी ने इस रैली का जो पोस्टर जारी किया था, उसमें रैली का वक़्त 2:30 बजे दिया गया था.
रविवार को मोदी की इस रैली को कवर करने पहुँचे कुछ स्थानीय अख़बारों के रिपोर्ट्स ने बीबीसी को बताया कि सुबह 10 बजे से ही लोग रैली मैदान में पहुँचना शुरू हो गए थे.
प्रधानमंत्री के आगमन को देखते हुए रविवार को मणिपुर में सक्रिय भूमिगत चरमपंथी संगठन कोरकोम ने भी सूबे में बंद का आह्वान किया था.
भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के आगमन के विरोध में यह चरमपंथी संगठन पहले भी इस तरह का बंद बुलाता रहा है.
मणिपुर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता बिजय चंद्र ने बीबीसी के सहयोगी पत्रकार दिलीप कुमार शर्मा को बताया कि पीएम की रैली को लेकर उन्हें काफ़ी चिंता थी.
बिजय चंद्र ने कहा, "सुरक्षा की चिंता के अलावा हमें यह भी फ़िक्र हो रही थी कि बंद के कारण रैली में काफ़ी कम लोग आ पाएंगे. इसीलिए हमने लोगों को ढाई बजे आने का वक़्त दिया था. लेकिन जो दूर-दराज़ के गाँवों से रैली में आये थे वो सुबह 11 बजे ही यहाँ पहुँच गए थे."
कुछ स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि रैली में मंच संचालक ऐसे निर्देश दे रहे थे कि 'देश के प्रधानमंत्री किसी भी समय आप लोगों के बीच में होंगे. उनके स्वागत में सब खड़े होंगे और उनका अभिनंदन करेंगे'.
लेकिन इस बीच लोगों में दिन ढलने की चिंता बढ़ रही थी. मणिपुर में शाम 5 बजे के बाद सूरज छिपने लगता है.
ऑनलाइन मीडिया में कुछ ऐसी रिपोर्ट्स छपी हैं जिनमें कहा गया है कि कार्यक्रम में जो देरी हुई उसे लेकर लोगों में नाराज़गी थी. इसे देखते हुए मणिपुर सरकार में मंत्री थोंगम बिस्वजीत ने रैली मैदान में म्यूज़िक बजाने की भी पेशकश की थी.
यू-ट्यूब पर मौजूद एक वीडियो में थोंगम बिस्वजीत को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि 'पीएम मोदी के पास मणिपुर और पूर्वोत्तर भारत के लिए क्या संदेश है, उसे सुनने के लिए थोड़ा तो इंतज़ार करें.'
लेकिन पीएम मोदी अपने तय शिड्यूल से क़रीब डेढ़ घंटा देरी से रैली स्थल पर पहुँचे और इस बीच काफ़ी लोगों ने सीटें छोड़कर मैदान से बाहर जाना शुरू कर दिया था.
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